
प्रियंका चोपड़ा की नई फिल्म 'हेड्स ऑफ स्टेट' में तेज रफ्तार एक्शन और क्रिएटिव स्टंट्स के साथ 90 के दशक की बड़ी एक्शन कॉमेडी फिल्मों जैसा पुराना मजा है। जिस तरह उस दौर की फिल्में हंसी, दोस्ती और धमाके से भरपूर होती थीं, वैसा ही इस फिल्म में भी महसूस होता है।

कहानी और किरदार
फिल्म की शुरुआत काफी रंगीन और हलचल से भरी है। टोमेटो फेस्टिवल के बीच MI6 एजेंट नोएल बिसेट (प्रियंका चोपड़ा) एक रिपोर्टर के रूप में सामने आती हैं। लगता है अब कहानी उनके इर्द-गिर्द घूमेगी। लेकिन कुछ ही देर में वो कहानी से गायब हो जाती हैं। इसके बाद फिल्म दो नेताओं पर फोकस करती है- ब्रिटेन के प्रधानमंत्री सैम क्लार्क (इद्रिस एल्बा) और अमेरिका के राष्ट्रपति विल डेरिंगर (जॉन सीना)। सैम एक गंभीर और समझदार नेता हैं। जबकि विल, जो पहले एक एक्शन हीरो थे, अब राष्ट्रपति हैं। सैम अभी भी उन्हें गंभीरता से नहीं लेते, उन्हें हल्का समझते हैं। लेकिन दिलचस्प बात ये है कि वो उनकी फिल्में चुपचाप देखकर एंजॉय भी करते हैं। यही टकराव और अंदरूनी मजाक फिल्म को मजेदार बनाता है।
ह्यूमर और डायलॉग्स
फिल्म की सबसे अच्छी बात है इसके डायलॉग और हल्का-फुल्का मजाक। सैम और विल के बीच की बातचीत कई बार हंसी ला देती है। नाटो, फिश और चिप्स, अंडरवियर मॉडलिंग जैसे छोटे-छोटे जिक्र मजेदार पंच बन जाते हैं। इसमें पॉलिटिक्स है, लेकिन फिल्म समझने में मुश्किल नहीं लगती। यह हल्की-फुल्की और मजेदार बनी रहती है। ह्यूमर स्मार्ट है, पर ओवर नहीं।

प्रियंका चोपड़ा की वापसी और एक्शन
प्रियंका की एंट्री पहले सीन में ही होती है। लेकिन कुछ ही सीन के बाद वो अचानक गायब हो जाती हैं। फिर जब वो फिल्म के दूसरे हिस्से में लौटती हैं, तो पूरी ताकत के साथ नजर आती हैं। उनका एक्शन बहुत स्टाइलिश और स्मार्ट है। वो तेज, आत्मविश्वासी और पूरी तरह किरदार में डूबी लगती हैं। हर एक सीन में उनका प्रभाव साफ दिखता है। उनका रोल सिर्फ ग्लैमर नहीं है, बल्कि वो मिशन का जरूरी हिस्सा हैं। इद्रिस एल्बा के साथ उनकी जोड़ी भी अच्छी और समझदारी वाली लगती है। बिना ज्यादा ड्रामा के दोनों के बीच एक साइलेंट केमिस्ट्री दिखती है।
म्यूजिक और डायरेक्शन
फिल्म में गाने नहीं हैं, लेकिन बैकग्राउंड स्कोर सीन को सही टोन देता है। डायरेक्टर इलिया नैशूलर ने जॉन सीना की कॉमिक टाइमिंग, एल्बा की गंभीरता और प्रियंका की एक्शन प्रेजेंस को अच्छे से बैलेंस किया है। कभी ये फिल्म एक्शन थ्रिलर लगती है, कभी एक मजेदार राजनीतिक व्यंग्य।

पॉजिटिव पॉइंट
‘हेड्स ऑफ स्टेट’ एक ऐसी फिल्म है जिसमें पॉलिटिक्स, कॉमेडी और इंटरनेशनल टेंशन साथ चलते हैं। हॉलीवुड स्टाइल एक्शन और ह्यूमर पसंद करने वालों को ये फिल्म जरूर पसंद आएगी। प्रियंका एक बार फिर एक्शन अवतार में प्रभावित करती हैं। खासकर अपने कॉन्फिडेंस और स्क्रीन प्रेजेंस के जरिए। जॉन सीना अपने खास अंदाज में लोगों को हंसाते हैं। इद्रिस एल्बा फिल्म में गंभीरता लाते हैं, जो कहानी को बैलेंस करता है।
नेगेटिव पॉइंट
फिल्म का दूसरा हिस्सा थोड़ा अंदाजा लगाने लायक हो जाता है। पहले भाग में जो जोश और नयापन था, वो धीरे-धीरे कम होने लगता है। जैसे-जैसे कहानी आगे बढ़ती है, कुछ सीन एक जैसे लगने लगते हैं। क्लाइमेक्स तक आते-आते फिल्म थोड़ी धीमी और हल्की-सी बोरिंग लगने लगती है, क्योंकि आगे क्या होगा, इसका अंदाजा पहले ही लग जाता है।
कुल मिलाकर, ये फिल्म दिमाग पर ज्यादा जोर नहीं डालती, बल्कि एंटरटेनमेंट पर फोकस करती है। पर इतना जरूर है कि 1 घंटा 35 मिनट मजेदार तरीके से बीत जाते हैं। एक्शन, हल्की पॉलिटिक्स और ह्यूमर, सब कुछ ठीक मात्रा में है। अगर आप वीकेंड पर कुछ स्मार्ट और एंटरटेनिंग देखना चाहते हैं, तो ‘हेड्स ऑफ स्टेट’ सही ऑप्शन है।

