हर बार टॉप करना जरूरी नहीं, एक्सपर्ट बोले-बच्चे प्रोजेक्ट नहीं, हमारी तरह ही इंसान हैं

 

माता-पिता होने के नाते यह आपकी जिम्मेदारी बनती है कि आप बच्चों को सिर्फ बेहतर परवरिश ही नहीं, बल्कि उनकी भावनाओं की भी पूरी कद्र करें। इससे आपकी संतान आपके साथ खुलकर अपनी बात कह सकेगी। 

kids don t need to top every time they re not projects they re people too
हाल ही में महाराष्ट्र के सांगली से एक दिल दहला देने वाली खबर सामने आई। नीट यूजी परीक्षा की तैयारी कर रही एक 17 साल की छात्रा को मॉक टेस्ट में कम अंक आने पर उसके पिता ने बुरी तरह पीट दिया। इस मार से बच्ची की हालत इस कदर बिगड़ी कि अस्पताल पहुंचने से पहले ही उसने ने दम तोड़ दिया।
यह कोई पहला मामला नहीं है, जब परीक्षा का तनाव किसी बच्चे की जिंदगी से बड़ा बन गया हो। इससे पहले भी कई बार खबरें सामने आई हैं, जहां बच्चों ने कम नंबर आने पर या फेल होने पर आत्महत्या जैसा कदम उठा लिया।
इन दर्दनाक घटनाओं से माता-पिता को एक जरूरी सबक लेना चाहिए कि कोई भी परीक्षा या उसका रिजल्ट उनके बच्चे की जिंदगी से बड़ा नहीं हो सकता। बच्चों की सेहत, मानसिक शांति और उनका जीवन हर चीज से ज्यादा अहम है।


सभी तस्वीरें- सांकेतिक
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