माता-पिता होने के नाते यह आपकी जिम्मेदारी बनती है कि आप बच्चों को सिर्फ बेहतर परवरिश ही नहीं, बल्कि उनकी भावनाओं की भी पूरी कद्र करें। इससे आपकी संतान आपके साथ खुलकर अपनी बात कह सकेगी।

यह कोई पहला मामला नहीं है, जब परीक्षा का तनाव किसी बच्चे की जिंदगी से बड़ा बन गया हो। इससे पहले भी कई बार खबरें सामने आई हैं, जहां बच्चों ने कम नंबर आने पर या फेल होने पर आत्महत्या जैसा कदम उठा लिया।
इन दर्दनाक घटनाओं से माता-पिता को एक जरूरी सबक लेना चाहिए कि कोई भी परीक्षा या उसका रिजल्ट उनके बच्चे की जिंदगी से बड़ा नहीं हो सकता। बच्चों की सेहत, मानसिक शांति और उनका जीवन हर चीज से ज्यादा अहम है।
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